UPSC Power and Function in Hindi: In this post, I am sharing an important information about Union Public Service Commission of India in Hindi: So read the article carefully till the end.
संविधान के 14वे भाग मैं अनुच्छेद 315 से 323 तक में संघ लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता व शक्तियां और कार्यों का विस्तार दिया गया है। यह भारत का केंद्रीय भर्ती प्रकरण है। इसका गठन 10 अक्टूबर 1926 में हुआ था। इसमें एक अध्यक्ष व अन्य सदस्य होते हैं तथा इनको भारत का राष्ट्रपति नियुक्त करता है।
साधारणता: इस आयोग में 9 से 11 सदस्य होते हैं इनके आधे सदस्यों को भारत या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 साल का काम करने का अनुभव होना चाहिए। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो तक होता है। यह कभी भी राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र दे सकते हैं।
राष्ट्रपति एक कार्यवाहक अध्यक्ष को भी नियुक्त करता है जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति तक उसका पद संभालता है। इनके वेतन व भत्ते भारत की संचित निधि से मिलते हैं। एक बार कार्यकाल खत्म होने के बाद ये दोबारा नियुक्त नहीं हो सकते।
कार्य– यह अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं केंद्र शासित क्षेत्रों की लोक सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। यह राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरांत सभी या किन्हीं मामलों पर राज्यों को सलाह प्रदान करता है।
यह हर वर्ष अपने कार्यों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति इसकी रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। किसी स्वतंत्र मंत्रालय या विभाग को संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श को खारिज करने का अधिकार नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों का विस्तार किया जा सकता है।
सीमाएं– संघ लोक सेवा आयोग से निम्न विषयों पर परामर्श नहीं किया जाता है।
पिछड़ी जाति की नियुक्तियों के आरक्षण देने के मामले पर। अयोग या प्राधिकरण की अध्यक्षता, या सदस्यता,उच्च राजनयिक, उच्च पद, ग्रुप सी व डी सेवाओं के अधिकतर पदों की चयन से संबंधित। किसी पद के लिए अस्थाई या स्थानापन्न, अगर वह व्यक्ति 1 वर्ष से कम के लिए पद धारण करता है।
राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के दायरे से किसी पद, सेवा व विषय को हटा सकता है तथा वह इनके लिए नियमन बना सकता। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की भी परामर्श की आवश्यकता नहीं है। लेकिन राष्ट्रपति को कम से कम 14 दिन तक संसद के सदन में रखना होगा। संसद से खारिज भी कर सकता है।
संघ लोक सेवा आयोग केवल केंद्रीय भर्ती अधिकरण है। जबकि कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग भारत का केंद्रीय कार्मिक अधिकरण है। उच्चतम न्यायालय ने 1979 में संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ए.आर. किदवई की बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति को वैद्य ठहराया था। किसने व्यवस्था दी कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और यह सरकार के अधीन कोई रोजगार नहीं है।
Union Public Service Commission Articles:
अनुच्छेद 316-सदस्यों की नियुक्ति तथा कार्यकाल
अनुच्छेद 317- लोक सेवा आयोग के सदस्य की बर्खास्तगी एवं निलंबन
अनुच्छेद 318- आयोग के सदस्यों एवम कर्मचारियों की सेवा शर्तों संबंधी नियम बनाने की शक्ति
अनुच्छेद 319- सदस्यों की सदस्यता समाप्ति के बाद पद पर बने रहने पर रोक
अनुच्छेद 320- संघ लोक सेवा आयोग के कार्य
अनुच्छेद 321- संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों को विस्तारित करने की शक्ति
अनुच्छेद 322- आयोगों का खर्च
अनुच्छेद 323- लोकसेवा आयोगों के प्रतिवेदन
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