Central Administrative Tribunal in Hindi: In this post, I am sharing an important information about Central Administrative Tribunal India. So read the article carefully till the end.
संविधान के 42वे संशोधन अधिनियम 1976 से एक नया भाग 14क जोडा गया है इसे अधिकरण नाम दिया है। इसमें 2 अनुच्छेद हैं- 323(क) जो प्रशासनिक अधिकरण से संबंधित है तथा 323(ख) अन्य मामलों के अधिकरण से संबंधित।
अनुच्छेद 323क संसद को यह अधिकार देता है कि वह सेवा मामलों से संबंधित विवादों को नागरिक न्यायालय व उच्च न्यायालय के से अलग कर प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करे। संसद में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 पारित किया। यह अधिनियम किसी पीड़ित लोक सेवक को शीघ्र व कम खर्चीला न्याय कराने के संबंध में एक नया अध्याय जोड़ता है।
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण(CAT or Central Administrative Tribunal)- यह 1985 मै गठित हुआ जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। अभी इसकी 17 खंडपीठें हैं। 15 मुख्य न्यायालयों की प्रदान पीठोें में और दो जयपुर व लखनऊ से संचालित है। ये पीठें मुख्य न्यायालयों की अन्य सीटों पर सर्किट बैठकें भी करती है। कैट अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लोक सेवकों की भर्ती व सेवा संबंधी मामलो को देखता है।
इसके अधिकार क्षेत्र में अखिल भारतीय सेवाएं, केंद्र के अधीन नागरिक पदों और सैन्य सेवाओं के सिविल कर्मचारियों को सम्मिलित किया गया है। हालांकि सैन्य सेवा के सदस्य अधिकारी, उच्चतम न्यायालय के कर्मचारी, संसद के सचिवालय कर्मचारियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। यह एक बहुसदस्यीय निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष व सदस्य होते हैं। 2006 में संशोधन के बाद कैट के सदस्यों की हैसियत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर कर दी गई है।
इनके सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। तथा इनका कार्यकाल 5 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक( अध्यक्ष व उपाध्यक्ष) 62 वर्ष( सदस्यों के मामले में) होता है। अभ्यर्थी को केवल ₹50 का नाम मात्र शुल्क देना होता है तथा वह अपने वकील के माध्यम से या स्वयं उपस्थित हो सकता है।किसी अधिकरण के आदेश के विरुद्ध कोई याचिका सिर्फ उच्चतम न्यायालय में ही दी जा सकती है। उच्च न्यायालय में केवल कुछ ही मामलों में दी जा सकती है।
राज्य प्रशासनिक अधिकरण- राज्यों में भी सेट(SAT) 1985 अधिनियम के तहत है। केवल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा केरल में ही इसकी स्थापना हुई है। मध्य प्रदेश, तमिलनाडु हिमाचल प्रदेश में यह खत्म कर दिया गया है। राज्य प्रशासनिक अधिकरण भी कैट ही की तरह अपने क्षेत्र के राज्य सरकार के कर्मियों की भर्ती व सेवा मामलों को देखता है। उनके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति करता है।
अन्य मामलों के लिए अधिकरण 323(ख)- संसद तथा राज्य विधायिका को निम्न मामलों में न्याय करने के लिए अधिकरण बनाने का अधिकार है।
कर संबंधी, विदेश मुद्रा आयात और निर्यात, औद्योगिक और श्रम, भूमि सुधार, नए संपत्ति की अधिकतम सीमा, संसद और राज्य विधायिका के लिए निर्वाचन, खाद्य सामग्री, किराया और किरायेदारी अधिकार आदि।
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